BA Semester-3 Defence and Strategic Studies - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2648
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।

अथवा
विदेश नीति बनाम प्रतिरक्षा नीति पर एक लेख लिखिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. विदेश नीति व रक्षा नीति के आपसी सम्बन्ध के बारे में बताइये।

उत्तर -

राष्ट्रीय प्रतिरक्षा के कुछ आधारभूत कारक होते हैं। इन कारकों का प्रयोग करके ही किसी भी राष्ट्र को शक्तिशाली बनाया जा सकता है, क्योंकि युद्ध अनेक प्रकार के कारकों को प्रभावित करता है। युद्ध का अन्तिम रूप सशस्त्र सेनाओं के प्रयोग पर ठहरता है। इसके पूर्व उसको आर्थिक, राजनीतिक, मनोवैज्ञानिक आदि क्षेत्रों पर आक्रमण करने की क्रिया बनानी पड़ती है। ऐसी दशा में केवल सशस्त्र सेनाओं पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे विशेष लाभ की सम्भावना नहीं रहती है। इसलिए राष्ट्र की शक्ति सुरक्षा के लिए विदेश नीति, रक्षा नीति आदि का सामंजस्य परमआवश्यक है। देश की आर्थिक नीति, विदेश नीति और रक्षा नीति राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए राष्ट्रीय उद्देश्य तक पहुँचती है। इसलिए इनमें पारस्परिक सम्बन्ध साधारण रूप से दिखाई देता है। राष्ट्रीय हितों की रक्षा ही राष्ट्रीय उद्देश्य है। इसको पाने के लिए एक साधन को दूसरे साधन का पूरक बनाया जाता है, क्योंकि प्रत्येक का मार्ग एक ही है।

प्रतिरक्षा एवं विदेश नीति का सम्बन्ध
(Co-relation between Defence and Foreign Policy)

विदेश नीति पूर्ण प्रभुता सम्पन्न राज्य के विदेशी मामलों पर नियन्त्रण रखती है। राष्ट्र की सुरक्षा क्षमता के आधार पर ही विदेश नीति ताकतवर या कमजोर होती है। इस दृष्टि से विदेश नीति तथा रक्षा नीति का सम्बन्ध दूरगामी परिणाम के लिए आवश्यक हो जाता है। विदेश नीति की अच्छी नीव न होने पर राष्ट्र की शक्ति कमजोर हो जाती है। जिस प्रकार मस्तिष्क मानव शरीर के सभी अंगों का नियन्त्रण एवं संचालन करता है, उसी प्रकार विदेश नीति से भी रक्षा नीति का निर्धारण तथा संचालन होता है एवं उसमें मजबूती आती है। 17वीं शताब्दी से लेकर 19वीं शताब्दी तक ब्रिटेन विश्व का सबसे शक्तिशाली देश रहा। अन्य देशों की तुलना में ब्रिटेन के पास राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण के लिए बहुत सी बातों की कमी थी, लेकिन ब्रिटेन की विदेश नीति शक्तिशाली थी और इसी कारण वह विश्व एक शक्तिशाली राष्ट्र बना रहा। 19वीं शताब्दी के सातवें दशक के शुरू में जर्मनी में बिस्मार्क की शक्ति काफी बढ़ गयी थी। 1870 की हार के बाद फ्रांस 1890 तक जर्मनी की तुलना में दूसरी श्रेणी की शक्ति बना रहा। लेकिन 1890 में जब बिस्मार्क गद्दी से नीचे उतार दिया गया तो फ्रांस ने अपनी वैदेशिक नीति को काफी आगे बढ़ाया। उसने 1894 में सोवियत संघ से वैदेशिक सम्बन्ध स्थापित किए। अब उसी फ्रांस ने अपनी वैदेशिक कुटनीति के द्वारा जर्मनी को दुनिया से अलग-थलग कर दिया।

उपरोक्त तथ्यों से यह अन्दाजा लगाया जा सकता है कि किसी भी देश की प्रतिरक्षा तथा विदेश नीति एक-दूसरे की घनिष्ठ पूरक हैं। दोनों का लक्ष्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना तथा शक्ति को बढ़ाना होता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जहाँ एक ओर शक्तिशाली सेना की जरूरत होती है, वहीं उसको कुशलतापूर्वक चलाने के लिए एक अच्छी नीति की भी जरूरत होती है। एक विद्वान ने कहा है कि, "विदेश नीति दूसरे देश के सामने अपने हितों को बढ़ाने के लिए किए जाने वाले राष्ट्र के प्रयासों का सार है।' एण्डरसन के शब्दों में, "विदेश नीति में ऐसे सिद्धान्तों को निर्धारित और क्रियान्वित किया जाता है कि जो किसी राज्य के व्यवहार को उस समय प्रभावित करें जब वह अपने महत्वपूर्ण हितों की रक्षा का प्रारम्भ करने के लिए दूसरे राज्यों से बातचीत करता है। इसलिए विदेश नीति राज्य के संगठन, स्वरूप तथा उद्देश्य की पूर्ति के साधनों का प्रयोग अपने हित के अनुरूप करने के लिए किया जाता है।'

इस प्रकार विदेश नीति और रक्षा नीति का सम्बन्ध राज्य को ठीक प्रकार से चलाने और शान्ति व्यवस्था स्थापित करने के लिये आवश्यक है। राज्य की उत्पत्ति के साथ ही सेना की शक्ति राज्य की रक्षा तथा शान्ति के लिए प्रमुख अंग माने जाते हैं। प्राचीनकाल में भी इन दोनों के सम्बन्धों पर विशेष बल दिया जाता था। चाणक्य ने लिखा है कि राज्य को सुखी बनाने के लिए राजा के पास सैन्य शक्ति तथा विदेश नीति सबल होनी चाहिए। जिस राजा के पास इन दोनों शक्तियों में तोड़ होता है या सम्बन्ध नहीं होता है वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। इससे सिद्ध होता है कि भारत के प्राचीन आचार्य पड़ोसी राज्यों से अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने पर जोर देते थे। यही उस काल की विदेश नीति थी जो देश की आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक नीति से सम्बन्धित थी। आधुनिक युग में अधिकतर राष्ट्र इसी मार्ग पर चलते हैं। भारत को भी अपनी रक्षा नीति सुदृढ़ रखने के लिये अपने पड़ोसी राष्ट्रों से मधुर सम्बन्ध रखने आवश्यक हैं।

संसार के सभी राष्ट्र शासन की नीति बनाते समय रक्षा नीति को प्रमुख स्थान देते हैं। भारत के संविधान में इस नीति तथा कर्म को विस्तार से समझया गया है। इसका उल्लेख संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, फ्रांस तथा भारत के संविधानों में किया गया है। इसका प्रमुख कारण है कि रक्षा से राजनीति शक्ति को नियंत्रित किया जाता है। प्रायः इन राष्ट्रों में केन्द्रीय और राज्य की सरकारें कार्य करती हैं। राज्य की रक्षा व्यवस्था का भार केन्द्रीय सरकार पर होता है, परन्तु राज्य की सरकार उसमें पूरा सहयोग प्रदान करती है।

प्रजातन्त्र में रक्षा पर नियन्त्रण केन्द्र सरकार रखती है, क्योंकि यहाँ सेना राज्य पर निर्भर करती है। प्रधानमंत्री को रक्षा पर सर्वोच्च नियन्त्रण प्राप्त होता है। इसके भी कुछ ऐसे मुद्दे हैं; जहाँ राष्ट्रों की विदेश नीति निर्धारण में संयुक्त सेनाध्यक्षों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है।

जब नीति निर्धारण की बात आती है तो अधिकांश राष्ट्र एवं ऐसी नीति (विदेश नीति) का चुनाव करते हैं जो इनके राष्ट्रीय नव निर्माण में सहायक सिद्ध होती है और अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक वातावरण में एक स्वतन्त्र स्थिति प्रदान करती है। इसी को ध्यान में रखकर भारत के नीति-निर्धारकों ने विदेश नीति इस ढंग से बनाई, जिसमें सभी जरूरी बातें शामिल की गईं।

भारतीय विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता के सिद्धान्त को चुना गया ताकि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय हितों की रक्षा हो सके, क्योंकि भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति शान्ति और अहिंसा पर आधारित है, परन्तु अन्य देशों ने अपने हितों को आगे रखा। अधिकांश एशियाई एवं अफ्रीकी देशों ने भारत की विदेश नीति का अनुसरण किया है।

इस नीति को स्वीकार करने वाले देश अपनी सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक व्यवस्था को किसी गुट से जोड़ने के पक्षपाती नहीं हैं, क्योंकि इनकी विचारधारा स्वतन्त्र है। भारत की प्रतिरक्षा नीति भी शान्तिप्रिय रही है, परन्तु विदेशी खतरों के प्रति भारत ने सैन्य रूप से स्वयं को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया है। भारत किसी भी स्थिति में शत्रु का सामना करने में सक्षम है। इसी कारण भारत ने विदेशों से भी सामंजस्य स्थापित किए हैं। आज भारत पड़ोसी देशों की शत्रुतापूर्ण नीति के होने पर भी स्वयं को शान्तिपूर्ण दशा में ढाले हुए है और विदेश नीति की एक नींव शान्ति को जीवित रखे हुए है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  2. प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  3. प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
  5. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  7. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
  9. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
  11. प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
  12. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
  13. प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  14. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
  15. प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
  16. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
  17. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
  18. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
  23. प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
  24. प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
  25. प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  26. प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  27. प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
  28. प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
  29. प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
  32. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
  33. प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  34. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
  36. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  37. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
  38. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
  39. प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
  40. प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
  41. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
  44. प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  45. प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
  46. प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
  48. प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
  49. प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
  50. प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
  51. प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
  55. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
  57. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
  58. प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
  59. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
  60. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
  62. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
  64. प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
  65. प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
  68. प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
  69. प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
  70. प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
  71. प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  72. प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
  73. प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
  75. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  76. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  77. प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
  78. प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
  81. प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
  86. प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
  88. प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
  89. प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
  90. प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  91. प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
  92. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
  93. प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  94. प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
  95. प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
  96. प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
  97. प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  99. प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए

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